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हड़प्पा समाज, राजनैतिक संगठन, प्रशासन एवं धर्म

वस्तुनिष्ठ सामान्य ज्ञान प्राचीन भारतीय इतिहास

कलकत्ता में अंग्रेजों की किलेबंद बस्ती का नाम था?उत्तर-फोर्ड विलियन

अग्निकुल से सम्बंधित राजपूत वंश थे:- चौहान, चालुक्य, परमार और प्रतिहार

बुद्ध के शिक्षण करियर में एक महत्वपूर्ण घटना आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) में उनका पहला उपदेश था, जिसके बारे में माना जाता है कि यह उसी वर्ष हुआ था जब उन्हें ज्ञान हुआ था। इस उपदेश में, बुद्ध ने चार आर्य सत्यों पर जोर दिया, जो दुख के कारणों की पहचान करते हैं, और अष्टांग मार्ग, इसे दूर करने का एक मध्यम मार्ग। उन्होंने अहिंसा का भी प्रचार किया और यज्ञ और पशु बलि जैसे अनुष्ठानों की निंदा की। इन शिक्षाओं ने बौद्ध धर्म का आधार बनाया और दुनिया भर में लाखों लोगों ने इसका पालन किया।

यह दिन कई प्रभावशाली भारतीय नेताओं के निधन को भी चिह्नित करता है, जिनमें शामिल हैं:

व्यपगत के सिंद्धांत का सम्बन्ध किससे है? उत्तर-लार्ड डलहौजी

वैदिक इतिहास की मुख्य विशेषताओं में से एक जाति व्यवस्था की प्रमुखता है। जाति व्यवस्था ने समाज को चार मुख्य वर्गों में विभाजित किया: ब्राह्मण (पुजारी), क्षत्रिय (योद्धा), वैश्य (व्यापारी) और शूद्र (मजदूर)। प्रत्येक जाति के अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व थे, और व्यक्ति एक विशेष जाति में पैदा हुए और जीवन भर उस जाति में बने रहे।

प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध किसके बीच हुआ?

भारत का प्रथम गृह मंत्री कौन था? उत्तर- सरदार बल्लभ भाई पटेल

पुनर्जागरण एक फ्रेंच शब्द (रेनेसी) है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- ‘फिर से जागना’ इसे ‘नया जन्म अथवा ‘पुनर्जन्म’ भी कह सकते हैं। परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से इसे मानव समाज की बौद्धिक चेतना और तर्कशक्ति का पुनर्जन्म कहना ज्यादा उचित होगा। प्राचीन यूनान और रोमन युग में यूरोप में सांस्कृतिक मूल्यों का उत्कर्ष हुआ था। परन्तु मध्यकाल में यूरोपवासियों पर चर्च तथा सामान्तों का इतना अधिक प्रभाव बढ़ गया था कि लोगों की स्वतंत्र चिन्तन-शक्ति तथा बौद्धिक चेतना ही लुप्त हो गई। लैटिन तथा यूनानी भाषाओं को लगभग भुला दिया गया। शिक्षा का प्रसार रुक गया था। परिणामस्वरूप सम्पूर्ण यूरोप सदियों तक गहन अन्धकार में दबा रहा। ईश्वर चर्च और धर्म मे के प्रति यूरोपवासियों की आस्था चरम बिन्दु पर पहुँच गई थी। धर्मशास्त्रों में जो कुछ सच्चा झूठा लिखा हुआ अथवा चर्च के प्रतिनिधि जो कुछ बतलाते थे, उसे पूर्ण सत्य मानना पड़ता था। विरोध करने पर मृत्युदण्ड दिया जाता था। इस प्रकार लोगों के जीवन पर चर्च का जबरदस्त प्रभाव कायम था। चर्च धर्मग्रन्थ के स्वतन्त्र चिन्तन और बौद्धिक विश्लेषण का विरोधी था। सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में भी चर्च और सामन्त व्यवस्था लोगों को जकड़े हुए थी। किसान लोग सामन्त की स्वीकृति के बिना मेनर (जागीर) छोड़कर नहीं जा सकते थे।

प्रश्न – भारत पर आक्रमण करने वाला click here पहला विदेशी कौन था ?

कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार एवं अन्य योगदान

कई प्राचीन भारतीय मुद्रा विदेशों में भी प्राप्त हुए हैं. इनसे विदेशों से भी व्यापारिक संबंध का पता चलता है.

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